राधा रानी की मृत्यु कैसे हुई?
How did Radha Rani die?




धर्म की स्थापना के लिए श्री कृष्ण ने मथुरा छोड़ा तो वहीं, राधा रानी कृष्ण विरह में प्रतिदिन उनकी पूजा करते हुए समय बिताने लगी। एक समय वो आया जब राधा रानी के पिता ने उनका विवाह किसी अन्य यादव से करा दिया और श्री कृष्ण का विवाह भी देवी रुकमणी से हो चुका था।

कई हज़ार वर्ष बीत जाने के बाद जब राधा रानी ने
सभी सांसारिक कर्तव्यों का निर्वाह कर लिया था
और श्री कृष्ण भी धर्म की स्थापना कर चुके थे तब,
राधा रानी कृष्ण से मिलने द्वारका पहुचीं थीं। जहां
उन्होंने कृष्ण के साथ-साथ उनके समस्त परिवार से
भेंट की। राधा रानी कुछ समय द्वारका ही रुकी।

मगर बाद में कृष्ण भक्ति में और भी लीन होने के लिए उन्होंने द्वारका के पास ही वन में अपना स्थान बना लिया। श्री राधा रानी वन में अकेले रहने लगीं और कृष्ण का नाम जप कर अपने अंतर ध्यान होने के समय की प्रतीक्षा करने लगीं। आखिरकार वह समय आया और कृष्ण ने राधा रानी को पुनः दर्शन दिए ।

कृष्ण जब राधा रानी से मिले तो वह राधा रानी
की पीड़ा उनकी आंखों में देखते ही समझ गए और
साथ ही यह भी राधा रानी उन्हें दोबारा देखकर
कितनी प्रसन्न हैं। उन्होंने राधा रानी से वरदान 
मांगने को कहा तो उन्होंने बस यह इच्छा जताई कि
वह आखिरी बार कृष्ण की बांसुरी की धुन सुनना ।
चाहती हैं।




"कृष्ण ने बांसुरी बजानी शुरू की ओर तब तक बजाई जब तक राधी रानी अंतर ध्यान हो कृष्ण में ही विलीन नहीं हो गई। कृष्ण की बांसुरी की धुन सुनते-सुनते राधा रानी ने अपना सांसारिक शरीर  त्याग दिया और गोलोक में जा पहुंची।

तब कृष्ण ने उस स्थान पर अपनी बांसुरी तोड़ दी और दो टुकड़े कर उसे फेंक दिया। राधा रानी के जाने के बाद से जब तक कृष्ण धरती पर रहे तब तक उन्होंने फिर दोबारा बांसुरी कभी नहीं बजाई ।