HOW DID NANDI BECOME THE VEHICLE OF LORD SHIVA?
नंदी कैसे बने भगवान शिव की सवारी?
According to a legend, Rishi Shilad, who was following the celibate fast, began to fear that his dynasty would end after his death. Due to this fear, he started severe penance to get a son. Pleased with the penance, Lord Shiva appeared to Shilad Rishi and asked him to ask for a boon. Then Shilad Rishi told Shiva that he wanted such a son, whom death could not touch and your grace should remain on him.
एक पौराणिक कथा के अनुसार, ब्रह्मचारी व्रत का पालन कर रहे ऋषि शिलाद को भय होने लगा कि उनकी मृत्यु के बाद उनका वंश समाप्त हो जाएगा. इस भय के चलते उन्होंने पुत्र प्राप्ति के लिए कठोर तपस्या शुरू की. तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने शिलाद ऋषि को दर्शन दिए और वर मांगने को कहा. तब शिलाद ऋषि ने शिव से कहा कि उसे ऐसा पुत्र चाहिए, जिसे मृत्यु ना छू सके और उस पर आपकी कृपा बनी रहे.
Lord Shiva blessed him and said that he would get such a son. The next day Rishi Shilad was passing through a field. He saw that a newborn child was lying in the field. The child was very beautiful and attractive. He thought who left such a lovely child. Then Shivji's voice came that Shilad is your son. 38
नमः शिवाय॥
भगवान शिव ने उसे आशीर्वाद देते हुए कहा कि उसे ऐसे ही पुत्र की प्राप्ति होगी. अगले दिन ऋषि शिलाद एक खेत से गुजर रहे थे. उन्होंने देखा कि खेत में एक नवजात बच्चा पड़ा है. बच्चा काफी सुंदर और लुभावना था. उन्होंने सोचा कि इतने प्यारे बच्चे को कौन छोड़कर चला गया. तब शिवजी की आवाज आई कि शिलाद यही तुम्हारा पुत्र है.
Rishi Shilad was very happy to hear this and took the child with him to take care of him. That child was named Nandi. Once two monks reached the house of Rishi Shilad. He was honored a lot. Pleased with this, the ascetics blessed Rishi Shilad with a long life but did not utter a single word for Nandi. Rishi Shilad asked the reason for this from the sanyasis. Then the monks told that Nandi's age is less, so we did not give him any blessings.
ये सुनकर ऋषि शिलाद बेहद प्रसन्न हुए और बच्चे को देखभाल करने अपने साथ ले गए. उस बच्चे का नाम नंदी रखा गया. एक बार ऋषि शिलाद के घर पर दो सन्यासी पहुंचे. उनका खूब आदर सत्कार हुआ. इससे प्रसन्न होकर सन्यासियों ने ऋषि शिलाद को दीर्घ आयु का आशीर्वाद दे दिया लेकिन नंदी के लिए एक शब्द भी नहीं बोला. ऋषि शिलाद ने सन्यासियों से इसका कारण पूछा. तब सन्यासियों ने बताया कि नंदी की उम्र कम है, इसलिए हमने इसे कोई आशीर्वाद नहीं दिया.
Nandi heard this and told sage Shilad that I was born by the grace of Lord Shiva and only he bus would protect me. After that Nandi got engrossed in the penance of Lord Shiva on the banks of Bhuvan river. Lord Shiva was pleased with his harsh penance and asked him to ask for a boon. Then Nandi said that O Lord! You give me your company. I want to spend this life in your company only. Seeing his devotion, Shiva embraced Nandi and gave him the face of a bull. Nandi is the most beloved of Shiva among the ganas and also the ultimate devotee. Since then Nandi became the vehicle of Lord Shiva
यह बात नंदी ने सुन ली और ऋषि शिलाद से कहा कि मेरा जन्म भगवान शिव की कृपा से हुआ है और वे ही मेरी रक्षा करेंगे. उसके बाद नंदी भुवन नदी के किनारे भगवान शिव की तपस्या में लीन हो गए. उनकी कठोर तप से भगवान शिव प्रसन्न हुए और वरदान मांगने को कहा. तब नंदी ने कहा कि हे प्रभु! आप मुझे अपना सानिध्य प्रदान करें. यह जीवन आपके सानिध्य में ही व्यतीत करना चाहता हूं. उनकी भक्ति को देखकर शिव जी ने नंदी को गले लगा लिया और उनको बैल का चेहरा दे दिया. नंदी गणों में शिव के सबसे प्रिय हैं और परम भक्त भी. तब से नंदी भगवान शिव के वाहन बन गए |
0 टिप्पणियाँ