भूतों के शहर, गाँव महल और किलो के खंडहरों से बहुत अलग आकर्षण रहता हैं। ज्यादातर इसलिए क्योंकि वे हमें उन लोगों के जीवन में झांकने का मौका देते हैं जो कभी उनमें रहते थे। कुलधरा राजस्थान के जैसलमेर शहर का एक परित्यक्त गाँव है। 13 वीं शताब्दी के आसपास स्थापित, यह कभी पालीवाल ब्राह्मणों का एक समृद्ध गाँव था। ग्रामीण ज्यादातर कृषि व्यापारी, बैंकर और किसान थे। और महीन मिट्टी से बने अलंकृत मिट्टी के बर्तनों का प्रयोग करते थे।
राजस्थान का कुलधरा गांव न केवल भारत का बल्कि दुनिया के भी सबसे भूतिया गांवों में से एक है। 200 साल के बाद भी ये गांव आजतक फिर से बस नहीं पाया है। इस लेख के जरिए उस कहानी के बारे में जहां 5000 लोगों ने गांव को रातों रात में खाली कर दिया था।अचानक इस गांव में कुछ ऐसा हुआ, जिसने सब कुछ बदल दिया। एक मान्यता के अनुसार यहां की रियासत के दीवान सालेम सिंह की नजर गांव के ब्राह्मण की पुत्री शक्ति मैया पर थी। वह उसके साथ विवाह करना चाहता था। वहीं दूसरी तरफ गांव का ब्राह्मण अपनी पुत्री का विवाह किसी दूसरी बिरादरी में नहीं करना चाहते थे।
ऐसे में सालेम सिंह ने गांव वालों को धमकी दी कि अगर वो शक्ति मैया से उनकी शादी नहीं करवाते हैं, तो वो पूरे गांव को तहस नहस कर देगा। ऐसे में गांव के सभी पालीवाल ब्राह्मणों ने पंचायत में ये निर्णय लिया कि वे इस गांव को छोड़ देंगे। उसके बाद 5000 परिवार ब्राह्मण गांव को वैसा ही छोड़कर रातों रात वहां से चले गए। जाते वक्त उन्होंने ये श्राप भी दिया कि जो कोई भी इस गांव में बसने की कोशिश करेगा। वो पूरी तरह बर्बाद हो जाएगा।
वर्षों में, कुलधरा ने एक प्रेतवाधित स्थल के रूप में ख्याति प्राप्त की। और राजस्थान सरकार ने 2010 में इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने का निर्णय लिया
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