पशुपतिनाथ मंदिर भगवान शिव को समर्पित सबसे पवित्र हिंदू मंदिरों में से एक है। यह काठमांडू, नेपाल में बागमती नदी के तट पर स्थित है। मंदिर परिसर प्राचीन काल का है और इसका समृद्ध इतिहास है। किंवदंतियों के अनुसार इस मंदिर का निर्माण सोमदेव राजवंश के पशुप्रेक्ष ने तीसरी सदी ईसा पूर्व में कराया था किंतु उपलब्ध ऐतिहासिक दस्तावेज़ 13वीं शताब्दी के ही हैं। इस मंदिर की कई नकलों का भी निर्माण हुआ है जिनमें भक्तपुर (1480), ललितपुर (1566) और बनारस (19वीं शताब्दी के प्रारंभ में) शामिल हैं। मूल मंदिर कई बार नष्ट हुआ।
केदारनाथ और पशुपतिनाथ का संबंध
अपने बंधुओं की कुरुक्षेत्र में हत्या करने के बाद पांडव बहुत दुखी थे। क्योंकि उन्होंने ही अपने ही भाई बंधुओं का विनाश किया था इसलिए उन पर गोत्र हत्या का पाप लगा था। अपराध पाप से मुक्त करने के लिए सभी पांडव बंधु भगवान शिव की खोंज में निकल पड़े ताकि उन्हें इस पाप से निदान मिल सकें।
लेकिन भगवान शिव नहीं चाहते थे कि इतने जघन्य पाप के पश्चात पांडवों को इतनी आसानी से मुक्ति मिल जाए इसलिए पांडवों से छीपते हुये केदारनाथ जैसे दुर्गम स्थान पर चले गये पांडव उन्हे ढूंढते हुये वहां भी पहुंच गए तब भगवान शिव ने एक बैल का रूप लिया था।
भगवान शिव पशु का रूप धारण करने के पश्चात पांडवों से भागकर बैलों के झुण्ड में विलुप्त हो गये तब भीम ने विशाल रुप धारण करते हुये पैर फैलाकर खड़े हो गये सभी पशु उनके पैरों के बीच में से निकलकर चले गये लेकिन महादेव रुपी बैल ने ऐसा नहीं किया जिससे पांडवों को उनके भेद का पता चल गया और अचानक भगवान शिव जमीन में समाते हुये विलुप्त होने लगेे भीम ने अपनी शक्ति को दिखाते हुये उस बैल की पूंछ पकड़ ली जिसके पश्चात भगवान शिव पशु शरीर कई टुकड़ों में बट गया और भगवान शिव को अपने असल रूप में आना पड़ा और फिर उन्होंने पांडवों को क्षमादान दे दिया।लेकिन भगवान शिव का मुख तो बाहर था लेकिन उनका देह केदारनाथ पहुंच गया था। जहां उनका देह पहुंचा वह स्थान केदारनाथ और उनके मुख वाले स्थान पशुपतिनाथ के नाम से प्रसिद्ध हुआ।हुआ।
पशुपतिनाथ हिंदू त्रिदेवों में से एक शिव के अवतार हैं। वह शक्ति के पुरुष समकक्ष हैं। पशुपतिनाथ के पांच मुख शिव के विभिन्न अवतारों का प्रतिनिधित्व करते हैं; सद्योजाता (बरुण के नाम से भी जाना जाता है), वामदेव (उमा महेश्वर के नाम से भी जाना जाता है), तत्पुरुष, अघोर और ईशान।
पशुपतिनाथ मंदिर कि रोचक तथ्य व विशेषताएं
•भारतीय हिंदू और बौद्ध मंदिर परिसर में प्रवेश करने के लिए स्वतंत्र हैं । जो लोग हिंदू धर्म का पालन करते हैं और नेपाल या भारत के नहीं हैं उन्हें आंतरिक गर्भगृह में प्रवेश करने की अनुमति नहीं है। सिखों और जैनियों को परिसर में प्रवेश करने की अनुमति है। अन्य लोग बागमती नदी के दूसरी ओर से मंदिर की संरचना देख सकते हैं।
•इस मंदिर से जुड़े यह मान्यता है कि जो भी व्यक्ति अपने जीवन में इस मंदिर का तीर्थ कर लेता है वह पशु योनि से मुक्त हो जाता है अर्थात कभी भी पशु योनि में जन्म नहीं लेता और मोक्ष को प्राप्त हो जाता है।
•इस मंदिर के निकट आर्य घाट की मान्यता बहुत अधिक है इस घाट के जल को नेपाल में पवित्र माना जाता है इसके जल को ही मंदिर में ले जा सकते है बाहर का जल यहां लाना वर्जित है।
आज, पशुपतिनाथ मंदिर दुनिया भर के तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को आकर्षित करता है, जो इसकी धार्मिक और स्थापत्य सुंदरता को देखने आते हैं और इस पवित्र स्थान के आध्यात्मिक वातावरण का अनुभव करते हैं।
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